विवरण: एक शरारती किशोर सौतेली बहन आत्म-आनंद में लिप्त होकर कक्षा से घर लौटती है। वह अपने पैरों और जीभ से चिढ़ाती है, एक संतोषजनक रिहाई के लिए तरसती है। उसकी आनंद की अतृप्त भूख उसके कुशल हाथों और मुँह से पूरी होती है, जिसका समापन एक चरमोत्कर्ष पर होता है।