विवरण: हर चौथे शुक्रवार को, वह अच्छी पिटाई चाहती है। जैसे-जैसे उसकी पैंटी गीली होती जाती है, वह आत्म-आनंद में लिप्त हो जाती है, उसकी उंगलियां अपने गीले सिलवटों पर नृत्य करती हैं। लयबद्ध थप्पड़ और मीठी रिहाई इसे एक मासिक अनुष्ठान बनाती है जिसे वह संजोती है।